इस कीट का प्रकोप अप्रैल से अक्टूबर माह तक रहता है और गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचता है । फसल को कीट की सूंड़ी नुकसान पहुंचाती है और सूंड़ी की कई पीढ़ियां फसल को नुकसान पहुंचाती रहती हैं । प्रथम पीढ़ी के पौढ़ का आगमन मार्च के महीने में होना शुरू हो जाता है। मादा कीट गन्ने की पत्तियों के निचली सतह पर अंडे देती है जिससे सूंड़ी निकलती है और सूरी गन्ने की चोटी के गोफ को सुराख बनाकर खाना शुरु कर देती है उसके बाद वह सूख जाती है ।
गन्ने में चोटी बेधक कीट का नियंत्रण
गन्ने की फसल में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का नियंत्रण अति आवश्यक होता है क्योंकि कीटों से गन्ने के उत्पादन में 15 से 20 % तक की कमी आ सकती है। मार्च और अप्रैल के महीने में गन्ने की सूखी पतियों को जिस पर अंडे रहते हैं जला देना चाहिए इसी के साथ अप्रैल से जून के महीने में प्रभावित गन्ने के पौधों को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए। ट्राईकोग्रामा जेपोनीकम नामक अंड परजीवी के 50000 से 100000 अंडे प्रति हेक्टेयर की दर से मार्च के आखिरी सप्ताह में गन्ने की पत्तियों के नीचे लगाना चाहिए। यह प्रक्रिया 8 से 10 दिनों के अंतर पर पांच छह बार करना चाहिए। ट्राईको कार्ड को लगभग 10 टुकड़ों में काटकर लगाते हैं यदि आवश्यकता हो तो जून और जुलाई में कार्बोफयूरान 3 जी कीटनाशी को 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सूखी बालू में मिलाकर गन्ने के पेड़ के समीप डाल देते हैं और डालने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देना चाहिए।