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संकर धान की उन्नतशील खेती Hybrid Rice Cultivation


धान विश्व की तीन महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों में से एक है जोकि 2.7 बिलियन लोगों का मुख्य भोजन है। इसकी खेती विश्व में लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर एवं एशिया में 135 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है। भारतवर्ष में लगभग 44 मिलियन हेक्टेयर तथा उत्तर प्रदेश में करीब 5.9 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती विभिन्न परिस्थितियों: सिंचित, असिंचित, जल प्लावित, असिंचित ऊसरीली एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में की जाती है। विभिन्न परिस्थितियों अर्थात् अनुकूल सिंचित एवं विषम परिस्थितियों हेतु धान की उच्च उत्पादकता वाली संकर प्रजातियों के विकास पर बल दिये जाने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम संकर प्रजातियों के विकास का कार्यक्रम चीन में वर्ष 1964 में आरम्भ हुआ। पिछले 20 वर्षों के अथक प्रयासों के उपरान्त विकसित संकर प्रजातियों से सामान्य प्रजातियों के सापेक्ष 15-20 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है क्योंकि इनमें उपलब्ध संकर ओज एवं प्रभावी जड़तंत्र, सूखा एवं मृदा लवणता के प्रति मध्यम स्तर का अवरोधी होता है। संकर प्रजातियों से कृषक कम क्षेत्रफल में सीमित संसाधनों से सफल विविधीकरण द्वारा अधिक उपज प्राप्त कर सकता है। उत्तर प्रदेश में 18.50 लाख हे. से अधिक क्षेत्रफल में संकर धान की खेती की जा रही है। प्रमुख संकर किस्मों का विवरण सारणी-1 में दिया गया है। संकर धान की खेती सामान्य किस्मों की तरह ही की जाती है। परीक्षणों से सिद्ध हो चुका है कि संकर प्रजातियां सामान्य प्रजातियों की तुलना में 10-12 कुन्तल/हेक्टेयर अधिक उपज देती है क्योंकि इनमें प्रति पौध बालियों तथा प्रति बाली दानों की संख्या अधिक होने के साथ-साथ विषम परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। ज्ञातव्य है कि संकर किस्में दो विभिन्न आनुवांशिक गुणों वाली प्रजातियों के नर एवं मादा के संयोग/ संसर्ग/संकरण से विकसित की जाती है इनमें पहली पीढ़ी का ही बीज नई किस्म के रूप में प्रयोग किया जाता है क्योंकि पहली पीढ़ी में एक विलक्षण ओज क्षमता पायी जाती है जो सर्वोत्तम सामान्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देने में सक्षम होती है ध्यान रहे कि अगली पीढ़ी में उनके संकलित गुण विघटित हो जाने के कारण ओज क्षमता में बहुत ह्नास होता है तथा पैदावार कम हो जाती है। परिणामतः संकर बीज किसानों को हर साल खरीदना पड़ता है।

भूमि का चयन एवं भूमि शोधन Soil and Soil Treatment for Hybrid Rice Cultivation

संकर धान की अच्छी फसल लेने हेतु दोमट या मटियार भूमि उपयुक्त होती है। इनमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होती है। फसल को भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए टंाइकोडर्मा 2ः डब्लू.पी. की 2.5 किग्रा.मात्रा प्रति हेक्टेयर 60-75 किग्रा. सड़ी हुई गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त आखिरी जुताई के समय खेतों में मिला दंे। दीमक, सफेद गिडार, सूत्रकृमि, जड़ की सूण्डी, कटवर्म आदि कीटों से बचाव हेतु ब्यूवेरिया बैसियाना 1ः डब्लू.पी. बायोपेस्टीसाइड की 2.5 किग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर 60-75 किग्रा. गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देना चाहिए। बीज दर: 15-20 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।

नर्सरी प्रबन्धन Hybrid Rice Nursery Management

संकर धान का नर्सरी प्रबन्धन अन्य अधिक उत्पादन देने वाली सामान्य प्रजातियों की तुलना से भिन्न होता है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में संकर धान रोपाई हेतु 700 से 800 वर्गमीटर क्षेत्र की नर्सरी पर्याप्त होती है जोकि सामान्य धान के लिए भी वांछित है। ध्यान रहे कि संकर धान के बीज की मात्रा नर्सरी हेतु कम होने के बावजूद भी क्षेत्रफल घटाना उचित नहीं है। फलस्वरूप नर्सरी में पौधे बिरले रहते हैं तथा उनकी अच्छी वृद्धि होती है। नर्सरी की बुवाई से पूर्व 100 किग्रा. नत्रजन, 50 किग्रा. फास्फोरस एवं 50 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालते हैं। नर्सरी में यदि जस्ता या लोहे की कमी के लक्षण दिखाई पड़े तो 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट एवं 0.2 प्रतिशत फेरस सल्फेट के घोल का छिड़काव करना वांछित है।

बीज का उपचार Hybrid Rice Seed Treatment

शुष्क बीजों को 24 घण्टे पानी में भिगोने के बाद कार्बेन्डाजिम 50ः डब्ल्यू, पी. से 2 ग्राम/ किग्रा. बीज की दर से उपचारित किया जाय। उपचारित बीजों को पक्के फर्श पर छाया में फैलाकर गीला बोरा तथा पुआल से ढक देना चाहिए तथा दिन में 2-3 बार पानी छिड़ककर नमी बनाये रखना चाहिए, जिससे बीज का अंकुरण अच्छी तरह हो सके।

रोपाई Transplanting of Hybrid Rice

25-30 दिन उम्र के 2-3 कल्लों वाले एक से दो पौधों की रोपाई 2-3 सेमी. गहराई पर पंक्ति से पंक्ति 15 सेमी. तथा पौध से पौध 15 सेमी. की दूरी पर करना उचित रहता है, जिससे कम से कम 45-50 हिल प्रतिवर्ग मीटर अवश्य रहे। रोपाई से एक सप्ताह के अन्दर मरे हुए पौधों के स्थान पर उसी संकर प्रजाति के पौधों की रोपाई अवश्य करना चाहिए।

उर्वरक प्रबन्धन Fertilizers Management in Hybrid Rice Production

संकर धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए 150 किग्रा. नत्रजन, 75 किग्रा. फास्फोरस तथा 75 किग्रा. पोटाश एवं आवश्यकतानुसार 25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। नत्रजन की आधी तथा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई के समय तथा शेष नत्रजन मात्रा दो बराबर भागों में कल्ले निकलते समय तथा गोभ बनते समय देना चाहिए जहाँ तक संभव हो उर्वरक की मात्रा भूमि का परीक्षण कराकर ही सुनिश्चित किया जाय तथा गोबर की 10 से 15 टन खाद या हरी खाद का प्रयोग किया जाय।

सिंचाई Irrigation 

ध्यान रहे कि भूमि में नमी बराबर बनी रहे तथा दाना भरने की अवस्था में 5 सेमी. तक जल स्तर खेत में बनाये रखना लाभदायक होता है।

खरपतवार नियंत्रण Weed Management in Hybrid Rice Cultivation

रोपाई के तीन दिन के अन्दर ब्यूटाक्लोर 2.5 लीटर/हे. या एनीलोफास 1.5 लीटर/हे. की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें अथवा रोपाई के 20 या 40 दिनों बाद दो निकाई करने से खरपतवार आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

फसल सुरक्षा Plant Protection in Hybrid Rice Cultivation

धान का बंका, तना छेदक, धान की गंधी तथा सैनिक कीट प्रमुख है। कीट रसायन का प्रयोग अधिक प्रकोप के समय ही करना चाहिए जहाँ तक संभव हो एकीकृत कीट प्रबन्धन की विधियां अपनाई जाये। शाकाणु झुलसा तथा झोंका रोग संकर प्रजातियों में अधिक लगते हैं इनके नियंत्रण के लिए उपचारित बीज का ही प्रयोग करना चाहिए।

कटाई, मड़ाई तथा उपज Harvesting, Threshing and Yield of Hybrid Rice

50 प्रतिशत बालियां निकलने के बीस दिन बाद या बाली के निचले दानों में दूध बन जाने पर खेत से पानी बाहर निकाल देना चाहिए जब 80-85 प्रतिशत दाने सुनहरे रंग के हो जाये अथवा बाली के निकलने के 30-35 दिन बाद कटाई करना चाहिए। इससे दाने को झड़ने से बचाया जा सकता है। अवांछित पौधों को कटाई के पहले ही खेत से निकाल देना चाहिए।

सावधानियां/मुख्य बिन्दु Precautions in Hybrid Rice Cultivation

संकर धान की किस्मों की आनुवांशिक क्षमता का भरपूर लाभ लेने हेतु इसका बीज हर साल नया प्रयोग करना चाहिए क्योंकि संकर धान की फसल से प्राप्त बीज दूसरे वर्ष अपेक्षाकृत कम पैदावार देते हैं तथा दूसरे वर्ष की फसल में ऊँचाई, परिपक्वता एवं दानों में विभिन्नता आ जाती है जबकि संकर धान की पहली फसल में पर्याप्त समरूपता रहती है। चूंकि संकर धान की उत्तम खेती हेतु मात्र 15-18 किग्रा. बीज/हे. प्रयोग किया जाता है। अतः नर्सरी प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है। 30-35 दिन बाद कटाई करना चाहिए। इससे दाने को झड़ने से बचाया जा सकता है। अवांछित पौधों को कटाई के पहले ही खेत से निकाल देना चाहिए। 

संदर्भ- कृषि ज्ञान मंजुषा, कृषि विभाग उत्तर प्रदेश सरकार

 

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