यह कीट बुआई से लेकर फसल की कटाई तक हानि पहुंचाता है। कीट के श्रमिक गन्ने के टुकड़ों के सिरों को खा जाते हैं और आंखों को हानि पहुंचाते हैं । यह कीट खड़ी फसल में भी गन्ने के पिथ को खा जाता है जिससे भारी नुकसान होता है इस का प्रकोप प्रायः मई - जून और सितंबर - अक्टूबर के महीने में अधिक होता है।
गन्ने की फसल में दीमक का नियंत्रण
इस कीट को नियंत्रित करने के लिए खेत के आसपास उपस्थित दीमक के घरों को नष्ट कर उसमें क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी कीटनाशक 4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़क देना चाहिए। खेत में हमेशा सड़ी हुई गोबर और कंपोस्ट की खाद का प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पूर्व गन्ने के टुकड़ों के ऊपर क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी के घोल का छिड़काव कर देने से अंकुरण पर दीमक का प्रभाव नहीं होता है। खड़ी फसल में दीमक का प्रभाव होने से क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से अथवा लिंडेन 20 ईसी 6.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए इससे दिमाग का प्रभाव कारी नियंत्रण हो जाता है।गन्ने की फसल में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का नियंत्रण अति आवश्यक होता है क्योंकि कीटों से गन्ने के उत्पादन में 15 से 20 % तक की कमी आ सकती है।