लहसुन की खेती इसके औषधीय गुण के लिए की जाती है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद में लहसुन की खेती बहुतायत में की जाती है। लहसुन का उपयोग सम्पूर्ण विश्व में मसालों या विभिन्न दवाइयों के रूप में होता है। इसी लिए लहसुन विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली महत्वपूर्ण मसाला फसल है। भारत में यह व्यवसायिक रूप से उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण कंदवर्गीय फसल है लहसुन ताजा सुखाकर अर्थात् प्रसंस्करण कर उपयोग में लाया जाता है। सभी प्रकार के शाकाहारी व माँसाहारी भोजन में लहसुन सुगन्ध के लिए मसाला अवयव के रूप में उपयोग किया जाता है। ताजे लहसुन में खाद्य पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट्स (62.8 प्रतिशत), प्रोटीन (63.3 प्रतिशत), लवण (1.0 प्रतिशत), रेशे (0.8 प्रतिशत) इसके अतिरिक्त कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा इत्यादि तत्व पाये जाते हैं। आमवात व गठिया दर्द, पक्षाघात, कम्पनवात, अजीर्ण आफरा, हृदयरोग (कोलेस्ट्रोल नियंत्रण हेतु) सम्बन्धी बीमारियों इत्यादि में लहसुन का उपयोग लाभकारी पाया जाता है। लहसुन में कीटनाशक गुण होने की वजह से इसके अर्क व तेल का इस्तेमाल दवा बनाने व उन्हें फसलों में कीटों के लार्वा व प्यूपा की रोकथाम के लिए किया जाता है।
लहसुन के लिए जलवायु एवं भूमि का चुनाव Climate and Soil for Garlic Growing
लहसुन की उपज के लिए ठण्डी व नम जलवायु उपयुक्त रहती है। कन्द बनने के लिए लम्बे व शुष्क दिन फायदेमन्द रहते है। कन्द बनने के पश्चात यदि तापमान कम हो जाय तो कन्दों का विकास और अधिक अच्छी तरह से होगा। लहसुन की खेती के लिए प्रचुर मात्रा में जीवाश्म व जल निकास युक्त दोमट भूमि सर्वोत्तम है। गांठों के समुचित विकास व अच्छे रंग के लिए इस प्रकार की मिट्टी उत्तम मानी जाती है। भारी मिट्टी वाले क्षेत्र में लहसुन की खेती अनुपयुक्त है।
लहसुन के खेत की तैयारी Field Preparation for Garlic Cultivation
खेत की 3 से 4 बार जुताई करके खेत तैयार कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। यदि खेत में नमी कम हो तो पलेवा कर लेना अच्छा होता है। जुताई से पहले खेत में जैविक खाद, गोबर की खाद या कम्पोस्ट को एक साथ बिखेर देते है, जिससे जुताई के समय खाद खेत में अच्छी तरह मिल जाती है। मिट्टी के अनुसार 200-300 कुन्तल प्रति हे. तक गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए।
लहसुन के लिए खाद एवं उर्वरक Manures and Fertilizers for Garlic
खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए खेत की तैयारी के समय खादों का प्रयोग कर लेना चाहिए।
यह लहसुन फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति हे. 100 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश, 100 किग्रा. यूरिया एवं 300 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरकों को मिला देना चाहिए। इसके साथ ही लहसुन की खड़ी फसल में एक माह पश्चात् 500 किग्रा. प्रति हे. यूरिया की टॉप डंेसिंग करने से आशातीत लाभ होता है।
बीज व बुआई का समय Seed Rate and Sowing Time of Garlic
बुवाई हेतु लहसुन बीज का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखे। लहसुन स्वस्थ, बड़े व आकर्षक कन्दों में हो। लहसुन की बुवाई के लिए इनकी पुत्तियों (जवों) को पृथक-पृथक कर लें। कन्द/जवे संक्रमित न हों, कटा न हो, दाग व चोट रहित हो। बराबर आकार की बड़ी व सफेद रंग की मोटी त्वचा वाली हो। औसतन 5-7 कुन्तन प्रति हे. की दर से इन जवों की बुआई हेतु आवश्यकता पड़ती है। उत्तर प्रदेश में लहसुन की बुआई का उपयुक्त समय नवम्बर माह है। लहसुन की बुआई में कतार से कतार की दूरी 15 सेमी., पौध से पौध की दूरी 8 सेमी. की तथा जवों को 4-5 सेमी. की गहराई पर रखकर बुआई की जाती है। बुआई के समय खेत में नमी होना जरूरी है यदि नमी कम है तो बुआई के तुरन्त बाद पानी का हल्का छिड़काव करना बेहतर होता है।
लहसुन की उन्नतशील प्रजातियां Garlic Cultivars
लहसुन की उन्नत किस्मों में यमुना सफेद-1, यमुना सफेद-2, यमुना सफेद-3 तथा एग्रीफाउण्ड सफेद, एग्रीफाउण्ड पार्वती एवं पन्त लोहित आदि प्रचलित है।
लहसुन में खरपतवार नियंत्रण Weed Control in Garlic
लहसुन में अच्छी फसल लेने के लिए दो-तीन उथली निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए और खुरपी द्वारा निराई करके फसल को खरपतवार से मुक्त किया जा सकता है। रसायन जैसे पेण्डीमेथिलीन 30 ई.सी. की 3.3 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर बुआई के 4-5 सप्ताह पश्चात् फसल पर छिड़काव करना चाहिए।
लहसुन की सिंचाई Irrigation in Garlic
लहसुन की अच्छी उपज के लिए 7-8 दिन के अन्तराल पर या आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। गांठों के बनने के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना गांठों के समुचित विकास के लिए अच्छा होता है।
लहसुन की खुदाई एवं सुखाना Harvesting and Curing of Garlic
जब लहसुन की पत्तियों का ऊपरी भाग सूख कर भूमि की सतह पर झुक जाए तब लहसुन की खुदाई का उपयुक्त समय है। गांठों की खुदाई के 12-15 दिन पूर्व किसी भी तरह से खेत में सिंचाई नहीं करनी चाहिए। गांठों को खोदने के पश्चात् उसे किसी छायादार स्थान में रखकर 4-5 दिन रखकर सुखाना चाहिए। गांठों की पत्तियों व जड़ों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।
लहसुन की ऊपज व भण्डारण Yield and Storage of Garlic
लहसुन की 100-125 कुन्तल प्रति हैक्टेयर गांठों की अच्छी उपज अच्छी मानी जाती है। लहसुन की फसल मार्च-अप्रैल में खोदी जाती है और इसे साल भर सुरक्षित रखा जाता है। क्योंकि इसकी आवश्यकता सालभर रहती है। भण्डारण के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें:
गांठों को अच्छी तरह सुखा ले।
अच्छी तरह से पके ठोस व स्वस्थ कन्दों का चुनाव करें।
गांठों के छोटे-छोटे गुच्छों में बांधकर लटका दें या बांस की टोकरी में रखे।
भण्डारण गृह नमी रहित हवादार हो कन्दों की बीच-बीच में देखभाल कर खराब व सूखे कन्दों को निकालते रहे।
भण्डार गृह की समय-समय पर साफ सफाई करें।
लहसुन प्रसंस्करण Garlic Processing
लहसुन की कलियों से स्वादिष्ट अचार, चटनी, पेस्ट व पाउडर बनाए जाते हैं। लहसुन मांस, मछली में गंध को दबाने व सुगंधित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ताजे लहसुन को निर्जलीकृत लहसुन पाउडर बनाकर और ग्रेन्यूल्स (दाने के रूप में) विदेशों में निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है। लहसुन प्रसंस्करण के मुख्य उत्पादन फ्लेक्स, पाउडर, चटनी, अचार, तेल इत्यादि है, जो कि खाद उत्पाद के रूप में बहुत पसंद किए जाते हैं। खासतौर पर बड़े-बड़े होटलों में इनकी काफी मांग है वैसे तो लहसुन की कली अपनी सामान्य अवस्था में कोई महक नहीं देती, लेकिन जब इसे तोड़ा या छीला जाता है तो एलीमेन एन्जाइम की क्रिया द्वारा इसमें विद्यमान एलीन एलीसन में बदलकर एक तेज महक देता है। लहसुन प्रसंस्करण हेतु सर्वप्रथम लहसुन की गांठों को तोड़ना या कलियों की पिचकाई व पिसाई, पेस्ट बनाने हेतु छिलाई फिर गीली कलियों की पिसाई, कलियों से आसवन विधि द्वारा तेल प्राप्त करना प्रमुख क्रियाएं है। लहसुन से मूल्यवर्धक उत्पाद बनाने का मुख्य उद्देश्य लहसुन का आसानी से निर्यात सूखे लहसुन (फ्लेक्स) व निर्जलीकृत पाउडर के रूप में परिवहन में भार घटाकर व भण्डारण अवधि बढ़ाकर विदेशी मुद्रा अर्जित करना है। इसकी वजह से किसान बन्धु लहसुन की फसल खेती के रूप में अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। संदर्भ - कृषि ज्ञान मंजूषा, कृषि विभाग उत्तर प्रदेश