अमरूद का उत्पत्ति स्थान अमेरिका है जहाँ से यह भारत आया। यह कम उपजाऊ भूमि में सफलतापूर्वक उगने तथा अधिक आय देने के कारण बागवानों में बहुत लोकप्रिय हो रहा है। गरीबों के सेव के रूप में जाने जाना वाला अमरूद गोल से लेकर चपटे आकार का होता है। इसके सुर्ख लाल, सफेद, पीले व हरे रंग के फल बहुत लोक प्रिय हैं। अमरूद पोषक तत्वों का अच्छा व सस्ता स्रोत है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘सी‘ पायी जाती है। फलों की तुड़ाई उपरान्त वैज्ञानिक विधि से देखरेख न होने के कारण क्षति हो जाती है परिणाम स्वरूप बागवानों को उपज का कम मूल्य प्राप्त होता है। यदि अमरूद के फलों का परा उपज प्रबंधन वैज्ञानिक तकनीकि से किया जाय तो फलों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है और अमरूद की बागवानी से अपेक्षाकृत अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसी उद्देश्य को दृष्टगत ररवते हुये अमरूद के फलों के परा उपज प्रवन्धन पर यह लेरव प्रस्तुत किया जा रहा है। सामान्यतः परा उपज प्रबन्धन में वे सभी क्रियायें सम्मिलित होती हैं, जो फल की तुड़ाई से लेकर उसके उपभोग किये जाने के बीच सम्पादित की जाती हैं।
परिपक्वता एवं तुड़ाई Maturity and Harvesting of Guava
अमरूद के फलों की परिपक्वता का आकलन फल के रंग को देखकर किया जाता है। जब फलों का रंग हल्का पीला पड़ने लगे तब फल परिपक्व होकर तुड़ाई हेतु तैयार हो जाता है। फूल आने के लगभग 120-140 दिनों बाद फल परिपक्व हो जाता है। अमरूद का परिपक्व फल तुड़ाई के बाद पक जाता है। पूर्णतः पके फलों की तुड़ाई करने पर उनकी भण्डारण तथा परिवहन क्षमता कम हो जाती है और फल शीघ्र खराब होने लगते हैं। अतः फलों को परिपक्व अवस्था पर ही तोड़ लेना चाहिए। वर्षा ऋतु की फसल की तुड़ाई 2-3 दिनों तथा शीतकालीन फसल की तुड़ाई 4-5 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए क्योंकि अमरूद के सभी फलों में एक साथ परिपक्वता नहीं आती है। फलों की तुड़ाई हाथ से करनी चाहिए और पेड़ को हिलाकर फलों को कदापि नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि जमीन पर गिरने से फल चोटहिल हो जाते हैं जिसके कारण शीघ्र खराब होने लगते हैं। फलों की तुड़ाई डण्ढल व 1-2 पत्तियों के साथ करने से फल देर में पकता है तथा बाजार पहुँचने पर अच्छी अवस्था में बना रहता है। फलों की तुड़ाई बाजार की दूरी व स्थिति के अनुसार की जाती है। बाजार की दूरी अधिक होने की दशा में फल की तुड़ाई उचित परिपक्वता एवं पूर्ण आकार के अच्छे गठन की अवस्था पर करनी चाहिए। बाजार पास होने की दशा में अपेक्षाकृत अधिक परिपक्व अवस्था पर फल की तुड़ाई की जा सकती है।
पैकिंग एवं परिवहन Packaging and Transportation of Guava
अमरूद के फलों को तुड़ाई उपरान्त उनके आकार एवं भार के अनुसार श्रेणीकरण करके विभिन्न प्रकार के पैकिंग में रखते हैं जिसके कारण कम से कम परा उपज क्षति में उन्हें बाजार तक भेजा जा सके। पैकिंग हेतु पारदर्शक पालीथीन, बटर पेपर, मेटालाइज्ड पोलीस्टर, पोलीथीन एवं एलुमीनियम फोइल आदि पैकिंग मैटेरियल का प्रयोग कर सकते हैं। पहले अखबारी कागज को प्लास्टिक व बॉस की डलियों में लगाकर पैंकिग की जाती थी किन्तु आजकल आमतौर पर फलों की पैंकिग प्लास्टिक क्रेटों में की जाती है। अमरूद के फलों का परिवहन बड़ी सावधानी पूर्वक करना चाहिए क्योंकि फल बहुत ही कोमल एवं मुलायम तथा इसका छिलका रक्षा कवच रहित होता है। फलों को जालीदार प्लास्टिक क्रेटों में भरकर किसी उचित साधन से परिवहन करते हैं इससे फलों में दबाव नहीं पड़ता है और उनकी गुणवत्ता खराब नहीं होती है। फलों को सीधे ट्रक या ट्रैक्टर ट्राली या लोडर में अथवा जूट के बोरों में भरकर परिवहन नहीं करना चाहिए। परिवहन करते समय ट्रक या लोडर आदि को छायादार बना लेना चाहिए। जिससे सूर्य की गर्म तेज रोशनी एवं अचानक बरसात आदि से फलों का बचाव किया जा सके।
भण्डारण Storage of Guava
अमरूद के फलों को 5-7 दिन तक रेफ्रिजरेटर/फ्रिज में भण्डारित कर सकते हैं। फलों को 8-10°C तापमान एवं 90% आपेक्षिक आर्द्रता पर 2-3 सप्ताह तक बिना किसी क्षति के रखा जा सकता है।