फल वृक्षों के बाग से कई वर्षों तक फलत प्राप्त होती है। यदि बाग
लगाते समय कोई चूक हो जाती है तो उसमें वर्षों तक हानि उठानी पड़ती है। इसलिए
वैज्ञानिक विधि से बाग लगाना चाहिये जिससे
बाग से अधिकाधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। नया बाग लगाते समय निम्न बातों का ध्यान
रखना अच्छा होता है।
स्थान चयन
बाग लगाने के लिए ऐसा स्थान उपयुक्त होता है जहॉ पर जल
भराव न होता हो। मृदा के नीचे पत्थर की कड़ी सतह भी नहीं होनी चाहिये तथा जलस्तर भी
लगभग 3 मीटर नीचे होना चाहिये। ऐसा न होने पर वृक्षों की
जड़ें ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाती हैं।
जिसके कारण कुछ समय बाद वृक्ष सूख जाते हैं। बाग लगाने के खेत की भूमि को
समतल कर जल निकास की उचित व्यवस्था
कर लेनी चाहिये। टपक सिंचाई की आधुनिक विधि को
अपनाकर ऊँची नीची भूमि जहाँ पानी न भरता होए पर बाग लगाये जा सकते हैं।
फलदार वृक्ष कई वर्षों के लिए लगाए जाते हैं इसलिए उनको वैज्ञानिक विधि से लगाना चाहिए लगाते वक्त कोई गलती हो जाने पर वर्षों तक हानि उठानी पड़ती
रेखांकन विधि
बाग के स्थान का चयन कर भूमि तैयार करने के बाद रेखांकन द्वारा पौध लगाने के स्थान का चुनाव किया जाता है। बाग लगाने की कई रेखांकन विधियाँ प्रचलित हैं.आयताकार विधि
इस विधि में पंक्ति से पंक्ति की दूरी अधिक तथा पौध से पौध की दूरी अपेक्षाकृत कम रहती है। जिसके कारण पौध आयात के चारों कोनों पर लगे दिखाई पड़ते हैं। इस विधि में पौधों के विकास हेतु सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में मिलता है।
वर्गाकार विधि
रेखांकन की इस विधि में पौध से पौध की दूरी तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी बराबर रखी जाती है। यह एक सरल व सर्वाधिक अपनायी जाने वाली विधि है।
त्रिभुजाकार विधि
इस विधि को अपनाने पर पौधे त्रिभुज के तीनों कोनों पर लगे दिखायी पड़ते हैं। यह रेखांकन वर्गाकार विधि के समान होता है परन्तु समान अंकों वाली पंक्तियों के पौधे असमान अंकों वाली पंक्तियों के मध्य लगाये जाते हैं।