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जैव उर्वरकों की प्रयोग विधि तथा सावधानियां Biofertilizers- Application Methods and Precautions

जैव उर्वरकों की प्रयोग विधियां Biofertilizers Application Methods

लेख में पढ़ें(toc)

बीज उपचार Seed Treatment

200 ग्राम जैव  उर्वरक को आधा लीटर पानी में घोल लेते हैं इसके बाद घोल को 10 से 15 किलोग्राम बीज के ढेर पर धीरे धीरे डाल कर बीज में हाथ से मिला देते हैं जिससे की जैव  उर्वरक समान रुप से बीजों के ऊपर चिपक जाए। उपचारित बीज को कुछ घंटे छाया में सुखाकर तुरंत बुवाई कर देते हैं।

जड़ उपचार Root Treatment

यह विधि रोपाई फसलों के लिए उपयुक्त पाई गई है। 4 किलोग्राम जैव उर्वरक को लेकर 20 से 25 लीटर पानी में घोल बना लेते हैं यह घोर एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है। पौध की जड़ को इस घोल में 20 से 25 मिनट तक डुबोकर रखते हैं इसके बाद उपचारित पौध को खेत में रोपाई कर देते हैं।

मृदा उपचार Soil Treatment

इस विधि से खेत की मिट्टी का उपचार किया जाता है। जैव उर्वरक को 50 किलोग्राम खेत की मिट्टी तथा 50 ही किलोग्राम सड़ी हुई कंपोस्ट या गोबर की खाद में अच्छी तरह मिला लेते हैं। इस प्रकार से जैव उर्वरक खेत की मिट्टी तथा कंपोस्ट या गोबर की खाद से तैयार मिश्रण को बुवाई के समय या बुवाई  से लगभग 24 घंटा पूर्व 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में समान रुप से छिड़क देते हैं। यदि बुवाई कूड़ विधि में किया जाना है तो इस मिश्रण को कूड़ में भी डाल सकते हैं।

जैव उर्वरक के प्रयोग में सावधानियां Precautions in Biofertilizers Application

जैव उर्वरक एक जीवाणु खाद होता है जो अत्याधिक गर्मी अथवा तेज धूप से नष्ट हो सकता है यदि जैव उर्वरक के जीवाणु मर जाएंगे तो उसका लाभ नहीं मिल सकेगा। अतः जैव उर्वरक को धूप से बचाकर रखना चाहिए। यदि भंडारित करना हो तो जैव उर्वरक को मिट्टी के घड़े में रखकर छाया में रख सकते हैं। राइजोबियम जीवाणु फसल विशिष्ट के लिए होता है अर्थात अलग फसल के लिए अलग राइजोबियम जीवाणु का प्रयोग किया जाता है। अतः राइजोबियम जीवाणु के पैकेट पर लिखी गई फसल में ही उसका प्रयोग करें यदि अन्य फसल में राइजोबियम जीवाणु का प्रयोग किया जाएगा तो उसका लाभ नहीं होता है। जैव उर्वरक से  उपचारित बीज को किसी रसायन या रासायनिक खाद के साथ नहीं मिलाते हैं क्योंकि ऐसा करने पर जैव उर्वरक के जीवाणु नष्ट हो सकते हैं। यदि बीज को किसी फफूंदी नाशक रसायन से उपचारित किया जाना हो तो पहले बीज को उस फफूंदी नाशक रसायन से उपचारित कर लें इसके बाद जैव उर्वरक से उपचारित करें जिससे कि जैव उर्वरक के जीवाणु के मरने की संभावना ना रहे। जैव  उर्वरक के पैकेट पर प्रयोग विधि और अंतिम तिथि लिखी होती है उसी विधि के अनुसार जैव उर्वरक का फसल विशेष में प्रयोग करें यदि अंतिम तिथि समाप्त हो गई हो तो ना तो उस जैव उर्वरक का क्रय करें और ना ही उसका प्रयोग करें। ध्यान रखें खरीदते समय जैव उर्वरक किसी प्रामाणिक संस्था अथवा अति विश्वसनीय विक्रेता से ही खरीदें। जैव  उर्वरकों से लाभ लेने के लिए उसमें जीवाणु का क्रियाशील स्थिति में होना अत्यंत आवश्यक होता  है।

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