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बीज: बुवाई से पूर्व शोधन Seed Treatment


फ(caps)सलों में कई ऐसे रोग हैं जो बीजों से फैलते हैं क्योंकि इन रोगों के कारक जीवाणु व फफॅूदी बीजों में सुषुप्तावस्था में पड़े होते हैं और जब बीज बोया जाता है तो बीज के अंकुरण के साथ रोग कारक भी सक्रिय हो जाते हैं और फसल में रोग लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इन रोगों से बचाव हेतु बुवाई से पूर्व फफॅूद नाशक अथवा जीवाणु नाशक रसायनों में बीज शोधन अति आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त जैव उर्वरकों में बीज शोधन करने पर फसल में रसायनिक उर्वरक अपेक्षाकृत कम मात्रा में डालना पड़ता है। बीज शोधन से गुणवत्ता युक्त 26 प्रतिशत अधिक उपज के साथ.साथ उत्पादन
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मूंग बीज
लागत भी कम हो जाती है। इसी को ध्यान में रखकर प्रमुख फसलों की बीज शोधन विधि का उल्लेख किया जा रहा है.

धान के बीज का शोधन

25 किलो बीज लें और उनमें 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन दवा मिलाकर किसी वर्तन में रखकर इतना पानी डालें कि पानी धान की सतह से आधी इन्च ऊपर तक आ जाय। रात भर के लिए छोड़ दें।
प्रातः बीज को पानी से निकाल लें और पानी भली प्रकार छन जाने के बाद 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 % घुलनशील चूर्ण 2 लीटर पानी में घोल लें और बीज पर छिड़कर मिला दें तथा छाया में 2.3 घण्टे सुखाने के बाद नर्सरी डालें।

मक्का के बीज का शोधन

कार्बेन्डाजिम नामक दवा 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर शोधन करने के बाद बुवाई करें।

बाजरा के बीज का शोधन

एक लीटर पानी में 200 ग्राम की दर से नमक घोलकर पर्याप्त मात्रा में नमक का घोल बना लें उसमें बीज को डुबो दें। अरगट नामक रोग संक्रमित बीज ऊपर तैरने लगता हैं जिन्हें छानकर फेंक दें तथा नीचे बैठे बीज को निकालकर पानी छान दें व बीज में 2 ग्राम प्रति किलो की दर से कार्बेन्डाजिम मिलाकर बुवाई करें।

दलहन बीज का शोधन

अरहर मूंग उर्द लोबिया तथा मूंगफली के बीज में बुवाई से पूर्व 2 ग्राम प्रति किलो की दर से कार्बेन्डाजिम अथवा वेबिस्टीन मिलाकर शोधन करें। उसके 5.8 घण्टे बाद राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें। इसके लिए 50 ग्राम गुड़ एक लीटर गर्म पानी में घोलकर ठण्डा कर लें एवं उसमें 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर मिलाकर 10 किलो बीज पर छिड़ककर भलीभॉति मिला दें। अन्त में 3.4 घण्टे छाया में बीज को सुखाने के बाद तुरन्त बुवाई कर दें।

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