वर्मीकम्पोस्ट
वर्मीकम्पोस्ट एक प्रकार का जैविक खाद है जो बेकार कार्बनिक पदार्थों से एपिजाइक (सतह पर पाए जाने वाले) तथा एनिसिक (सतह के अन्दर पाए जाने वाले) केचुओं द्वारा बनाई जाती है। इसमें नत्रजन 1.2 से 1.6 प्रति शत, फास्फेट 1.8 से 2.0 प्रति
वर्मीकम्पोस्ट |
बनाने की विधि
- वर्मीकम्पोस्ट बनाने का कार्य गड्ढे, लकड़ी की पेटी, प्लास्टिक क्रेट या किसी अन्य प्रकार के कन्टेनर में किया जा सकता है। गड्ढ़े या पेटी की गहराई 1 मीटर से कम रखा जाता है। लकड़ी या प्लास्टिक की पेटी में नीचे 8 से 10 छेद जल निकास हेतु अवश्य होना चाहिए।
- दो मीटर लम्बा, एक मीटर चौड़ा तथा एक मीटर गहरा गड्ढ़ा ऊंचाई तथा छायादार जगह पर बना लें।
- सबसे निचली सतह पर 3 से 3.5 से.मी. मोटी ईंट या पत्थर की गिट्टी बिछा दें।
- मिट्टी की परत के ऊपर 3 से 3.5 से.मी. मोटी मौरंग या बालू की परत फैला दें।
- मौरंग की परत के ऊपर 15 से.मी. मोटी दोमट मिट्टी की परत फैला दें और मिट्टी को पानी छिड़ककर नम कर लें।
- इसके बाद 50 से 75 केंचुआ (एपीजाइक तथा एनिसिक) बराबर की संख्या में नम मिट्टी में डाल दें।
- नम मिट्टी के ऊपर गोबर के ढेर बनाकर रख दें।
- गोबर के ऊपर 5 से 10 से.मी. पुआल/सूखी पत्तियां डाल दें।
- इसके बाद बराबर 20 से 25 दिन तक पानी का छिड़काव करते रहें।
- 26 वें दिन से सप्ताह में दो बार लगभग 5 से 10 से.मी. मोटी कचरे की तह बनाए तथा गोबर का ढेर बनाकर रख दें। यह प्रक्रिया तब तक दोहराते रहें जब तक गड्ढ़ा भर न जाए।
- पानी का छिड़काव प्रतिदिन करते रहें और सप्ताह में एक बार पलटते रहें।
- लगभग 40 से 45 दिनों में वर्मीकमपोस्ट तैयार हो जाता है इसके बाद पानी का छिड़काव बन्द कर दें।
- 2 से 3 दिनों के बाद खाद निकाल कर छाया में ढेर लगा दें और हल्का सूखने दें। इसके बाद 2 मि.मी. छन्ने से छान लें। इस प्रकार तैयार वर्मीकम्पोस्ट में 20 से 25 प्रति शत नमी होनी चाहिए।
- तैयार वर्मीकम्पोस्ट को प्लस्टिक के थैले में भरकर थैले में लेबल लगाकर रख लें और आवश्यकतानुसार प्रयोग करें।
- खाद्यान्न फसलों में 5 से 6 टन प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें जिसमें 2.5 से 3 टन खेत की तैयारी के समय , 1.2 से 1.5 टन पौध रोपण के 15 दिन या 2 पत्तियों वाली अवस्था के समय और शेष 1.2 से 1.5 टन दुधवा अवस्था पर प्रयोग करें।
- फलदार पेड़ो में वृक्ष की आयु के अनुसार 1 से 10 किलो प्रति पेड़ प्रति वर्ष वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग करें। 10 वर्ष की आयु या उससे अधिक के पेड़ो में 10 किलो प्रति पेड़ प्रति वर्ष की दर निश्चित कर दें और फूल आने के पूर्व प्रयोग करें।
- किचनगार्डन तथा गमलों हेतु 100 ग्राम प्रति गमला अथवा प्रति पौधा प्रति वर्ष प्रयोग करें।
- सब्जी की फसलों में 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर की दर से पौध रोपण के समय प्रयोग करें।